गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025

डार्क मैटर: अदृश्य ब्रह्मांड का रहस्य

 डार्क मैटर: अदृश्य ब्रह्मांड का रहस्य

image credit

डार्क मैटर क्या है?


डार्क मैटर एक ऐसी रहस्यमयी चीज़ है जो न तो रोशनी को अवशोषित करती है, न ही उसे परावर्तित करती है। इसलिए इसे सीधे तौर पर देखा नहीं जा सकता। लेकिन वैज्ञानिकों को इसकी उपस्थिति का पता आकाशगंगाओं और अन्य खगोलीय पिंडों की गति से चलता है। अगर ब्रह्मांड में सिर्फ वही पदार्थ (matter) होता जिसे हम देख सकते हैं, तो आकाशगंगाएं इतनी तेजी से नहीं घूम पातीं। लेकिन जब वैज्ञानिकों ने इनकी गति को मापा, तो पाया कि इनमें कोई न कोई छिपी हुई अदृश्य शक्ति मौजूद है, जो इन पर अतिरिक्त गुरुत्वाकर्षण (gravity) डाल रही है। यही शक्ति डार्क मैटर हो सकती है।


डार्क मैटर की खोज कैसे हुई?


डार्क मैटर के अस्तित्व की खोज 1930 के दशक में वैज्ञानिक फ्रिट्ज ज़्विकी (Fritz Zwicky) ने की थी। उन्होंने देखा कि कुछ आकाशगंगाओं की गति उनके द्रव्यमान (mass) से कहीं अधिक थी। इसका मतलब था कि इनमें कोई अदृश्य पदार्थ मौजूद है जो इन्हें बांधे रखता है। इसके बाद, 1970 के दशक में वेरा रुबिन (Vera Rubin) ने यह पुष्टि की कि हमारी अपनी मिल्की वे आकाशगंगा सहित अन्य आकाशगंगाओं की बाहरी भुजाएँ बहुत तेज़ी से घूम रही हैं। लेकिन अगर केवल दृश्यमान पदार्थ होता, तो ये बाहरी भुजाएँ गुरुत्वाकर्षण के कारण बाहर की ओर उड़ जातीं। इसका मतलब था कि कोई अदृश्य पदार्थ इन्हें पकड़कर रखे हुए है – और यही डार्क मैटर है।


डार्क मैटर बना किससे है?


अब तक वैज्ञानिकों को यह नहीं पता कि डार्क मैटर वास्तव में किस चीज़ से बना है। लेकिन कुछ सिद्धांत इसे समझाने की कोशिश करते हैं:


1. WIMPs (Weakly Interacting Massive Particles): ये ऐसे भारी कण हो सकते हैं जो दुर्लभ परिस्थितियों में ही अन्य कणों के साथ संपर्क करते हैं।

2. एक्सोटिक न्यूट्रिनो: सामान्य न्यूट्रिनो कणों से भी हल्के और दुर्लभ कण हो सकते हैं जो डार्क मैटर का हिस्सा हो सकते हैं।

3. एक्सटेंडेड ग्रेविटी (संवर्धित गुरुत्वाकर्षण): कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि डार्क मैटर असल में कोई अलग पदार्थ नहीं, बल्कि गुरुत्वाकर्षण का ही एक नया रूप हो सकता है।


डार्क मैटर को कैसे खोजा जा रहा है?


वैज्ञानिकों ने डार्क मैटर को खोजने के लिए कई तकनीकों का इस्तेमाल किया है। ग्रेविटेशनल लेंसिंग (Gravitational Lensing) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जब प्रकाश बहुत अधिक गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र से गुजरता है, तो वह मुड़ जाता है। कुछ आकाशगंगाओं के पीछे छिपे तारों का प्रकाश असामान्य तरीके से मुड़ता हुआ दिखता है, जिससे वैज्ञानिक अंदाजा लगाते हैं कि वहां डार्क मैटर मौजूद हो सकता है। डायरेक्ट डिटेक्शन (Direct Detection) में वैज्ञानिक डार्क मैटर कणों को सीधे पकड़ने के लिए भूमिगत प्रयोगशालाओं में विशेष उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा, पार्टिकल कोलाइडर्स (Particle Colliders) जैसे लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) अत्यधिक ऊर्जा वाले कणों को टकराकर डार्क मैटर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।


डार्क मैटर क्यों महत्वपूर्ण है?


डार्क मैटर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ब्रह्मांड की संरचना को समझने में मदद करता है। अगर डार्क मैटर न हो, तो आकाशगंगाएं अपने वर्तमान स्वरूप में नहीं रह सकतीं। यह नए भौतिकी नियमों की खोज का भी कारण बन सकता है। डार्क मैटर के अध्ययन से हमें यह समझने में मदद मिल सकती है कि ब्रह्मांड कैसे बना और इसका भविष्य क्या होगा।


क्या डार्क मैटर की जगह कोई और सिद्धांत हो सकता है?


हालांकि, कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि डार्क मैटर की जगह कोई अन्य सिद्धांत इसकी व्याख्या कर सकता है, जैसे MOND (Modified Newtonian Dynamics), जो कहता है कि हमें गुरुत्वाकर्षण के नियमों को बदलकर देखना चाहिए। इसके अलावा, कुछ वैज्ञानिक फिफ्थ फोर्स (Fifth Force) की भी बात करते हैं, जो एक नई अज्ञात ताकत हो सकती है। हालांकि, अब तक डार्क मैटर ही सबसे मजबूत सिद्धांत बना हुआ है।


निष्कर्ष


डार्क मैटर को समझने की हमारी यात्रा अभी जारी है। यह एक ऐसा रहस्य है जो भौतिकी की मौजूदा सीमाओं को चुनौती देता है और हमें ब्रह्मांड की गहराई में झांकने के लिए मजबूर करता है। यदि हम इसका सही-सही पता लगा लें, तो यह विज्ञान की सबसे बड़ी खोजों में से एक होगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

क्या हम क्वांटम टेलीपोर्टेशन से इंसानों को ट्रांसपोर्ट कर सकते हैं?

क्या हम क्वांटम टेलीपोर्टेशन से इंसानों को ट्रांसपोर्ट कर सकते हैं? टेलीपोर्टेशन (Teleportation) – यानी एक स्थान से दूसरे स्थान पर तुरंत पह...